आया नया उजाला, चार बूंदों वाला! 90 के दशक का यह मशहूर विज्ञापन वाक्य शायद ही किसी ने न सुना हो। कपड़ों को चमकदार सफेदी देने वाला उजाला नील वर्षों से भारतीय घरों का भरोसेमंद नाम रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उजाला नील बनाने वाली कंपनी और इसके संस्थापक कौन हैं? इस लोकप्रिय ब्रांड के पीछे हैं एम.पी. रामचंद्रन , जिनकी प्रेरणादायक कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से कोई भी व्यक्ति बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है। रामचंद्रन ने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लेकर जो छोटी सी अस्थायी फैक्ट्री शुरू की थी, वह आज लगभग 1800 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार वाली मल्टीलेवल ब्रांड कंपनी बन चुकी है। उन्होंने अनोखे उत्पाद तैयार किए और अनेक नवाचार किए। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम है कि आज ज्योति लेबोरेटरीज एक प्रतिष्ठित मल्टी ब्रांड कंपनी के रूप में स्थापित है। प्रारंभिक जीवन एम. पी. रामचंद्रन का का जन्म केरल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में मेधावी और जिज्ञासु स्वभाव के थे। उनका झुकाव विज्ञान और प्रयोगों की ओर रहा, जिससे उन...
भारत ने हाल ही में एक बहुत बड़ा बदलाव देखा है, जो बेहद कम समय में हुआ। अब आप इंटरनेट के जरिए किराने का सामान मंगवा सकते हैं, खाना सीधे आपके दरवाजे तक पहुंच सकता है, और बिना गैस पेडल दबाए अपने शहर के सबसे दूरस्थ कोने तक पहुंच सकते हैं। ओला कैब्स, जिसे भाविश अग्रवाल ने सह-स्थापित किया था, अब ओला कंज्यूमर बन चुकी है। इसने भारत में ग्राहकों को लंबी कतारों में खड़े होने, घंटों तक इंतजार करने, या ऑटोवाले द्वारा अनदेखा किए जाने जैसी समस्याओं को हल किया है। इसके अलावा, इसने महिलाओं के लिए दिन के किसी भी समय यात्रा को सुरक्षित बना दिया है। फोटोग्राफी के शौकीन अग्रवाल का सपना भारतीयों को सुरक्षित और भरोसेमंद कैब सेवा प्रदान करना था, और उन्होंने यह सब कम उम्र में ही हासिल किया। अग्रवाल ओला के सह-संस्थापक और सीईओ हैं, और ओला इलेक्ट्रिक के एकमात्र संस्थापक भी हैं। इस सफल कैब सेवा का पहला प्रयोग दिल्ली की सड़कों पर किया गया। भाविश अग्रवाल ने अंकित भाटी के साथ मिलकर ओला की स्थापना की, और इसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह इतिहास बन गया। प्रारंभिक जीवन भाविश अग्रवाल, जिन्हें अक्सर मारवाड़ी समझा जाता है,...