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देशी बड़ा पाव को कैसे बनाया भारत का ब्रांड, पढ़िए वेंकटेश अय्यर की 350 करोड़ की कामयाबी

15 साल के कॉर्पोरेट अनुभव के बाद, वेंकटेश अय्यर  ने  देखा कि मुंबई में लाखों लोगों को एक स्वस्थ, साफ और पौष्टिक फास्ट फूड की ज़रूरत थी, और वड़ा पाव इस ज़रूरत को पूरा कर सकता था। फिर क्या था उन्होंने एक सालों पुरानी अपनी ख्वाहिश को हकीकत में बदल दिया और मुंबई ही बड़ा पाव को पूरे देश में प्रसिद्दी दिलाई । वेंकटेश अय्यर ने एक ऐसी असाधारण उपलब्धि हासिल की  है जो सफलता की कई कहानियाँ को मीलों पीछे छोड़ चुका है । उनकी कंपनी 'गोली वड़ा पाव' एक सफल ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुका है, जिसे हार्वर्ड बिजनेस स्कूल, आईएमडी स्विट्जरलैंड और आईएसबी जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों ने केस स्टडी के तौर पर अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। प्रारंभिक जीवन मध्यमवर्गीय तमिल ब्राह्मण परिवार में जन्मे वेंकटेश को बचपन में यह कहकर ताना मारा जाता था कि 'यदि अच्छे से नहीं पढ़ोगे, तो वड़ा पाव बेचना पड़ेगा।' यह एक आम बात है क्योंकि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छी पढ़ाई करके इंजीनियर, डॉक्टर या चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशेवर बनें। वेंकटेश के परिवार की भी यही अपेक्षा थी। लेकिन किसी ने य...

बीच रास्ते में रोककर टैक्सी ड्राइवर ने किया झगड़ा तो खड़ी कर दी कैब कंपनी, पढ़िए 'ओला' के बनने की रोचक कहानी

    दोस्तों अगर आज के समय में आपको शहर में किसी एक जगह से दूसरी जगह जाना हो और आपके पास गाड़ी न हो तो आपके दिमाग मे सबसे पहले एक ही नाम आता है 'ओला' । IIT बाम्बें से पास आउट भाविश माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे लेकिन ऐसा क्या उनके दिमाग में आया कि उन्होंने नौकरी छोड़ कर खुद की कंपनी खड़ी कर दी। तो आज हम बात करने जा रहे हैं ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल के बारे में जिन्होंने लाखों लोगों के एक जगह से दूसरे जगह जाने की समस्या को दूर किया। भाविश का प्रारंभिक जीवन भाविश का जन्म 25 अगस्त 1985 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था । उनके पिता नरेश कुमार और माता उषा अग्रवाल साधारण परिवार से तालुक रखते थे । भाविश ने मुंबई IIT से साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की और माइक्रोसाफ्ट कंपनी में रिसर्च एनालिस्ट के रुप में काम करने लगे । कंपनी में वह काफी अच्छा कर रहे थे लेकिन इस सुरक्षित नौकरी से वह जरा भी खुश नही थे क्योंकि उनके अंदर खुद कुछ अच्छा करने का जुनून सवार था। वह एक बिजनेस मैन बनना चाहते थे लेकिन माइक्रोसाफ्ट नाम उन्हें रोका हुआ था और वह चाह कर भी इसे छोड़ नह...