आया नया उजाला, चार बूंदों वाला! 90 के दशक का यह मशहूर विज्ञापन वाक्य शायद ही किसी ने न सुना हो। कपड़ों को चमकदार सफेदी देने वाला उजाला नील वर्षों से भारतीय घरों का भरोसेमंद नाम रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उजाला नील बनाने वाली कंपनी और इसके संस्थापक कौन हैं? इस लोकप्रिय ब्रांड के पीछे हैं एम.पी. रामचंद्रन , जिनकी प्रेरणादायक कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से कोई भी व्यक्ति बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकता है। रामचंद्रन ने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लेकर जो छोटी सी अस्थायी फैक्ट्री शुरू की थी, वह आज लगभग 1800 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार वाली मल्टीलेवल ब्रांड कंपनी बन चुकी है। उन्होंने अनोखे उत्पाद तैयार किए और अनेक नवाचार किए। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम है कि आज ज्योति लेबोरेटरीज एक प्रतिष्ठित मल्टी ब्रांड कंपनी के रूप में स्थापित है। प्रारंभिक जीवन एम. पी. रामचंद्रन का का जन्म केरल के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से ही वे पढ़ाई में मेधावी और जिज्ञासु स्वभाव के थे। उनका झुकाव विज्ञान और प्रयोगों की ओर रहा, जिससे उन...
सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती, यह बात मिसाल बनकर साबित की है बिहार के नालंदा जिले के 29 वर्षीय मिस्बाह अशरफ (Misbah Ashraf) ने। बार-बार असफल होने के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लगन, जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति से सफलता हासिल की। मिस्बाह की कड़ी मेहनत ने उन्हें फोर्ब्स की ‘फोर्ब्स 30 अंडर 30’ सूची में जगह दिलाई। महज 29 साल की उम्र में उन्होंने 2463 करोड़ रुपये की फिनटेक कंपनी खड़ी कर, अपनी सफलता की कहानी लिखी। उनकी यह उपलब्धि साबित करती है कि उम्र केवल एक संख्या है, अगर आप में जुनून और हौसला है तो आप बड़ी से बड़ी ऊंचाई हासिल कर सकते हैं। मिशबाह अशरफ का शुरुआती जीवन मिस्बाह अशरफ (Misbah Ashraf) बिहार के नालंदा जिले से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एक साधारण शिक्षक हैं, और उन्होंने असफलताओं से लड़ते रहने की प्रेरणा अपने पिता से ही पाई। उनकी मां एक गृहिणी हैं, और उनकी शुरुआती शिक्षा नालंदा में ही हुई। मिडिल क्लास परिवार में पले-बढ़े मिस्बाह ने बचपन से ही बड़े सपने देखे थे। इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, उन्होंने...