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जब उसी कॉलेज में व्याख्यान देने पहुंचे गौतम अडानी जहां नही मिला था एडमिशन-पढ़िए सफलता की रोचक कहानी

 


गौतम अडानी का जन्म 24 जून 1962 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था। बचपन में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। अपने पिता का सहारा बनने के लिए उन्होंने 16 साल की उम्र में अहमदाबाद में घर-घर जाकर साड़ियां बेचने का काम किया। उनका परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहता था। एक समय ऐसा था जब गौतम अडानी हीरे छांटने और पैकेजिंग का छोटा सा काम कर अपना गुजारा कर रहे थेे।

आज गौतम अडानी के पास एक विशाल कारोबारी साम्राज्य है। उनकी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी देश में 13 बंदरगाहों और सात हवाई अड्डों का संचालन करती है। उनका समूह निजी क्षेत्र में सबसे बड़ी बिजली उत्पादन इकाई है और भारत का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक भी है। गौतम अ़डानी की कंपनी देश की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता है, एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है, और एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्तियों के पुनर्विकास में लगी हुई है। इसीलिए कुछ लोग उन्हें नई पीढ़ी के सबसे आक्रामक उद्यमियों में से एक मानते हैं।

मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले गौतम अडानी ने अपनी स्कूली शिक्षा अहमदाबाद के शेठ चिमनलाल नागिंददास विद्यालय से पूरी की। इसके बाद उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय में वाणिज्य (कॉमर्स) में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद वह मुंबई आ गए। 

जब उसी कॉलेज में व्याख्यान देने पहुंचे जहां नही मिला था एडमिशन

देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति गौतम अडानी ने 1970 के दशक में मुंबई के जय हिंद कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने पढ़ाई छोड़कर कारोबार की ओर रुख किया और साढ़े चार दशकों में 220 अरब डॉलर का व्यापारिक साम्राज्य खड़ा कर लिया। शिक्षक दिवस के अवसर पर अब उसी कॉलेज ने उन्हें छात्रों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया। जय हिंद कॉलेज के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष विक्रम नानकानी ने उनका परिचय देते हुए बताया कि अडानी 16 साल की उम्र में मुंबई आकर हीरे की छंटाई का काम करने लगे थे। 1977 या 1978 में उन्होंने कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, हालांकि उनके बड़े भाई विनोद पहले से ही वहां पढ़ रहे थे, लेकिन उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया।

जय हिंद कॉलेज के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष विक्रम ननकानी ने गौतम अडानी को ‘पूर्व छात्र’ का दर्जा देते हुए कहा, “सौभाग्य से या दुर्भाग्य से, कॉलेज ने उनके आवेदन को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का काम शुरू किया और एक वैकल्पिक करियर चुना।” अडानी ने लगभग दो साल तक हीरे छांटने का काम किया। इसके बाद वे अपने गृह राज्य गुजरात लौटे, जहां उन्होंने अपने भाई द्वारा संचालित पैकेजिंग फैक्ट्री में काम किया।

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1998 में अडानी ने कमोडिटी ट्रेडिंग की अपनी कंपनी शुरू की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अगले ढाई दशकों में, उनकी कंपनियों ने बंदरगाह, खनन, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली, सिटी गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, सीमेंट, रियल एस्टेट, डेटा सेंटर और मीडिया जैसे क्षेत्रों में कदम रखा।

मुबंई क्यों गए अडानी

ब्रेकिंग बाउंड्रीज़: द पावर ऑफ पैशन एंड अनकन्वेंशनल पाथ्स टू सक्सेस’ विषय पर अपने व्याख्यान के दौरान गौतम अडानी ने बताया कि वह केवल 16 वर्ष के थे, जब उन्होंने पहली बार सीमाओं को तोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “इसका संबंध पढ़ाई छोड़कर मुंबई जैसे अज्ञात भविष्य की ओर कदम बढ़ाने से था। लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं, ‘आप मुंबई क्यों गए? आपने पढ़ाई क्यों नहीं पूरी की?’”

इस सवाल का जवाब देते हुए अडानी ने कहा, “यह हर उस युवा के दिल में है जो सीमाओं को बाधा नहीं, बल्कि चुनौती के रूप में देखता है। मैंने खुद से पूछा कि क्या मुझमें भारत के सबसे बड़े शहर में खुद को साबित करने का साहस है।” मुंबई ने उन्हें हीरों की छंटाई ने बिजनेस करने का हुनर सिखाया। अडानी ने कहा, “कारोबार का क्षेत्र एक बेहतरीन शिक्षक है। मैंने सीखा कि एक उद्यमी को हमेशा नए विकल्पों के लिए तैयार रहना चाहिए। यह मुंबई ही थी जिसने मुझे बड़े सपने देखने और बड़ा सोचने का साहस दिया।”

1980 के दशक में, उन्होंने लघु उद्योगों को आपूर्ति के लिए पॉलिमर का आयात शुरू किया। 23 वर्ष की आयु तक उनका बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा। 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद उन्होंने पॉलिमर, धातु, कपड़ा और कृषि उत्पादों में काम करने वाले एक वैश्विक कारोबारी समूह की नींव रखी। 1994 में, अडानी ने अडानी एक्सपोर्ट्स का आईपीओ जारी किया, जिसे अब अडानी एंटरप्राइजेज के नाम से जाना जाता है। यह कदम सफल रहा और उन्होंने सार्वजनिक बाजारों के महत्व को समझा। इसके बाद उन्होंने परिसंपत्तियों में निवेश करते हुए अपने कारोबार को गति और पैमाने पर बढ़ाया।

मुंदड़ा बंदरगाह का विकास

1990 के दशक में, कच्छ के नमक उत्पादन के लिए कारगिल कंपनी ने उनसे साझेदारी की, जो सफल नहीं हो सकी। लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने मुंदड़ा में 40,000 एकड़ दलदली भूमि पर निजी जेट्टी बनाने की मंजूरी प्राप्त कर ली। अडानी ने इस क्षेत्र को कायाकल्प की संभावना के रूप में देखा। आज, मुंदड़ा भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह, सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र, और कई प्रमुख सुविधाओं का केंद्र बन चुका है। उन्होंने कहा, “मुंदड़ा में जो कुछ हमने बनाया है, वह इसकी पूरी क्षमता का केवल 10 प्रतिशत है। आगे और भी संभावनाएं हैं।”

कच्छ में बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क

गौतम अडानी समूह कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क बना रहा है । हवाई अड्डों, बंदरगाहों, लॉजिस्टिक्स, औद्योगिक पार्कों और ऊर्जा क्षेत्र में भारत के बुनियादी ढांचे को नए आयाम दिए हैं। लेकिन हमें हमारी उपलब्धियां नहीं, बल्कि चुनौतियों का सामना करने और उन्हें पार करने की हमारी मानसिकता परिभाषित करती है। यही अडानी समूह की यात्रा की पहचान है।

प्राइवेट जेट से लेकर आलीशान घर तक

आज गौतम अडानी के पास लग्जरी कारों से लेकर प्राइवेट जेट तक हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। वह आमतौर पर अपने सफर के लिए प्राइवेट जेट का इस्तेमाल करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके बेड़े में जो सबसे सस्ता प्राइवेट जेट है, उसकी कीमत भी भारत में लगभग 15.2 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, उन्होंने कम दूरी की यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर भी रखे हुए हैं।


 

गौतम अडानी अपने परिवार के साथ आलीशान इमारत में रहते हैं। उनके पास कई भव्य संपत्तियां हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2020 में उन्होंने दिल्ली के लुटियंस इलाके में एक महंगा घर खरीदा है, जिसकी कीमत लगभग 400 करोड़ रुपये थी। यह हवेली उन्होंने सबसे ऊंची बोली लगाकर हासिल की। इसके अलावा, अहमदाबाद की एक पॉश कॉलोनी में उनकी एक और शानदार हवेली है, और गुड़गांव में भी उनका एक भव्य बंगला है।

गौतम अडानी अब Bloomberg Billionaires Index में दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 15वें स्थान पर पहुंच गए हैं, जबकि मुकेश अंबानी इस सूची में 13वें स्थान पर हैं। गौतम अडानी की संपत्ति तेजी से बढ़ते हुए 85.9 अरब डॉलर तक पहुंच गई है, और उनकी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 15 लाख करोड़ रुपये के पार हो चुका है। वहीं, मुकेश अंबानी की नेटवर्थ 97.2 अरब डॉलर है।

 

 

 

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