आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी की जिसने सामााजिक मूल्योंं से प्रेरित गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित एक ऐसा व्यावसायिक साम्राज्य स्थापित किया जो आज भी हर भारतीय जनमानस के बीच मौजूद है ।
जमनालाल बजाज ने ब्रिटिश शासन के दौर में कई भारतीय स्वामित्व वाले उद्योगों की स्थापना की जिनमें चीनी, सीमेंट और कपास उद्योग प्रमुख थे। साथ ही उन्होंने खादी और स्वदेशी आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया, जिससे उनके उद्यमों को न केवल व्यावसायिक सफलता मिली बल्कि एक राष्ट्रीय पहचान भी स्थापित हुई।
प्रारंभिक जीवन
जमनालाल बजाज का जन्म साल 1889 में राजस्थान के सीकर जिले के पास स्थित छोटे से गाँव काशी का बास में कनीराम और बिरदीबाई के घर एक गरीब किसान परिवार में हुआ।
साल 1894 में वर्धा के प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ बच्छराज बजाज अपने परिवार के साथ काशी का बास के एक मंदिर में दर्शन के लिए आए। वहाँ उन्होंने घर के बाहर खेलते हुए नन्हे जमनालाल को देखा और उनकी सादगी एवं तेजस्विता से प्रभावित हुए।
विचार-विमर्श और समझाइश के बाद, सेठ बच्छराज बजाज ने उन्हें अपने पोते के रूप में गोद ले लिया। इस सद्भावना के प्रतीकस्वरूप, उन्होंने गाँव के लोगों की सुविधा के लिए एक कुआँ खुदवाया, जो आज भी उनके उदार और परोपकारी स्वभाव की मिसाल के रूप में याद किया जाता है।
सेठ बच्छराज के संरक्षण में, जमनालाल बजाज अपने दत्तक परिवार के पारिवारिक व्यवसाय में शामिल हो गए। इस दौरान उन्होंने बिजनेस की बारिकियां, कठोर बहीखाता पद्धति और वस्तुओं की खरीद-बिक्री के कुशल तरीके सीखे। सेठ बच्छराज के निधन तक, जमनालाल अपने काम में पूरी तरह निपुण और पारंगत हो चुके थे।
गांधीजी के आदर्श और जमनालाल बजाज
जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटे, तो जमनालाल बजाज ने उनके जीवन दर्शन, सिद्धांतों और खासकर अहिंसा तथा गरीबों के प्रति समर्पण में गहरी रुचि दिखाई। वह इस दृष्टिकोण से प्रभावित थे कि घर में बना सामान भारत की गरीबी का एक प्रभावी उत्तर हो सकता है।
जमनालाल ने देखा कि कुछ ब्रिटिश कंपनियां भारत से सस्ता कच्चा कपास आयात करती हैं और तैयार कपड़ा वापस भेजती हैं। यहीं से उनके भीतर की अंतरात्मा ने भारत के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा जागृत की ।
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बजाज का सफर कैसे शुरू हुआ?
जब भारत अंग्रेजी शासन के अधीन था, उस समय साल 1926 में जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) ने बजाज कंपनी (Bajaj Company) की स्थापना की। शुरुआती दौर में कंपनी एक ट्रेडिंग फर्म के रूप में कार्यरत थी जो विदेशी वस्तुएँ आयात करके भारतीय बाजार में बेचती थी।
आज़ादी मिलने के बाद बजाज समूह ने अपने कारोबार का रुख बदलते हुए, आयात से निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) की दिशा में कदम बढ़ाया और धीरे-धीरे भारतीय उद्योग जगत का एक भरोसेमंद नाम बन गया।
जमनालाल बजाज हमेशा भारतीयता पर विश्वास करते थे। वे महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी और उनके आदर्शों के अनुयायी थे। उनका उद्देश्य ऐसे भारतीय उत्पाद तैयार करना जो उत्तम गुणवत्ता वाले हों और आम लोगों की पहुंच में रहें।
बजाज स्कूटर की शुरुआत
जब भारत में कार को एक लक्ज़री उपकरण माना जाता था, उस समय बजाज ने आम जनता के लिए एक किफायती परिवहन विकल्प पेश किया। इसी दौर में कंपनी ने अपना मशहूर स्कूटर “बजाज चेतक” लॉन्च किया, जिसने देशभर के मध्यमवर्गीय परिवारों के जीवन का अहम हिस्सा बनकर इतिहास रच दिया।
बजाज हमेशा से अपने रचनात्मक और प्रभावशाली विज्ञापन अभियानों के लिए जानी जाती है। उसका प्रतिष्ठित कैंपेन “हमारा बजाज” न सिर्फ लोकप्रिय हुआ बल्कि लोगों के दिलों में एक भावनात्मक जुड़ाव भी बना गया। समय के साथ जब स्कूटरों की लोकप्रियता घटने लगी, तो कंपनी ने नई पीढ़ी की ज़रूरतों को समझते हुए बजाज पल्सर जैसी बाइक्स लॉन्च कीं — जिसने ब्रांड को एक नए युग की पहचान दी।
आज बजाज समूह का विस्तार करीब 40 कंपनियों तक हो चुका है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं-
बजाज इलेक्ट्रॉनिक्स (Bajaj Electronics): यह शाखा घरेलू उपयोग की वस्तुएँ जैसे फैन, मिक्सर, ट्यूबलाइट और अन्य होम अप्लायंसेस बनाती और बेचती है।
बजाज फिनसर्व (Bajaj Finserv): यह कंपनी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती है, जिनमें इंश्योरेंस, निवेश योजनाएँ और विभिन्न प्रकार के लोन शामिल हैं।
बजाज एनर्जी (Bajaj Energy): यह विभाग ऊर्जा उत्पादन और उससे जुड़ी सेवाओं पर केंद्रित है।
आज बजाज ग्रुप में 25 से अधिक कंपनियां शामिल हैं, जिनका सालाना टर्नओवर 280 अरब रुपए से भी अधिक है। उन्हें आज भी एक सफल उद्योगपति के रूप में याद किया जाता है । सेठ जमनालाल बजाज का निधन आज ही के दिन, साल 1942 में हुआ था।
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