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बीच रास्ते में रोककर टैक्सी ड्राइवर ने किया झगड़ा तो खड़ी कर दी कैब कंपनी, पढ़िए 'ओला' के बनने की रोचक कहानी

 

 


दोस्तों अगर आज के समय में आपको शहर में किसी एक जगह से दूसरी जगह जाना हो और आपके पास गाड़ी न हो तो आपके दिमाग मे सबसे पहले एक ही नाम आता है 'ओला' । IIT बाम्बें से पास आउट भाविश माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे लेकिन ऐसा क्या उनके दिमाग में आया कि उन्होंने नौकरी छोड़ कर खुद की कंपनी खड़ी कर दी। तो आज हम बात करने जा रहे हैं ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल के बारे में जिन्होंने लाखों लोगों के एक जगह से दूसरे जगह जाने की समस्या को दूर किया।

भाविश का प्रारंभिक जीवन

भाविश का जन्म 25 अगस्त 1985 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ थाउनके पिता नरेश कुमार और माता उषा अग्रवाल साधारण परिवार से तालुक रखते थे । भाविश ने मुंबई IIT से साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की और माइक्रोसाफ्ट कंपनी में रिसर्च एनालिस्ट के रुप में काम करने लगे । कंपनी में वह काफी अच्छा कर रहे थे लेकिन इस सुरक्षित नौकरी से वह जरा भी खुश नही थे क्योंकि उनके अंदर खुद कुछ अच्छा करने का जुनून सवार था। वह एक बिजनेस मैन बनना चाहते थे लेकिन माइक्रोसाफ्ट नाम उन्हें रोका हुआ था और वह चाह कर भी इसे छोड़ नही पा रहे थे । हालांकि वह बिजनेस आइडिया पर काम कर रहे थे कि कैसे और किस क्षेत्र में वह अपने स्किल का उपयोग कर सकते हैं । तभी उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी जिसकी वजह से उनकी पूरी लाइफस्टाइल ही बदल गई।

एक घटना ने बना दिया ओला का मालिक

ओला की शुरुआत के बारे में खुद भाविश बताते हैं कि एक बार उन्होंने बंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा के लिए कार बुक की थीकार की सर्विस इतनी खराब थी कि जब बेंगलुरु से बांदीपुर के लिए निकले तो आधे रास्ते में ही ड्राइवर ने उनसे किराए को लेकर बहस करना शुरु कर दिया । ड्राइवर का बर्ताव और पैसे मांगने का तरीका इतना बुरा था कि उन्हें बीच रास्ते में ही उतरना पड़ा और बाकी की यात्रा उन्हें बस से करनी पड़ी।

बस में आगे का सफर तय करते समय उनके दिमाग में बार-बार यह बात चल रही थी कि उनके साथ क्या-क्या हुआ।  वह सोच रहे थे कि ऐसे बहुत सारे लोग होगें जिन्हें अच्छी कार सर्विस नही मिल रही होगी और उनके साथ भी ऐसा ही होता होगा । उन्हें लगा उनकी तरह बहुत से ऐसे लोग होंगे जो अच्छी कैब सर्विस खोज रहे होगें जो अच्छी सर्विस प्रदान कर सके। इसी सोच को उन्होंने आगे बढ़ाया । उन्हें समझ आ गया था कि कम दाम मे एक अच्छी सर्विस देने से ही कस्टमर्स आकर्षित होगें औऱ बिजनेस आगे लेवल पर ले जाया जा सकता है। इस तरह से उन्होंने ओला कंपनी की नींव रखी। 

यह भी पढ़ें- जानिए कैसे दो दोस्तों ने एक छोटे से फूटलेट से Zomato को बना दिया फेमस फूड डिलिवरी ब्रांड

ओला की शुरुआत

भाविश ने अपने कॉलेज  के दोस्त अंकित भाटी के साथ मिल कर 2010 में मुबंई में Ola Cab  की शुरुआत की । हालांकि माता-पिता को इस बात का पता चला कि भाविश ने माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी छोड़ दी है तो वह काफी नाराज हुए । इस बारे में भाविश बताते हैं कि 'जब मैनें ओला की शुरुआत की तो मेरे माता-पिता को लगा कि मैं एक ट्रैवल एजेंट बनने जा रहा हूं। उन्हें समझा पाना बहुत मुश्किल था लेकिन जब ओला कैब्स को पहली फंडिंग हुई तो उन्हें मेरे स्टार्टअप पर भरोसा हुआ।' 

कंपनी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि भाविश ने पैसों से कोई कार नही खरीदा बल्कि बड़ी संख्या में ड्राइवर्स को अपने साथ जोड़ा क्योंकि वह IIT से पासऑउट थे तो उन्होंने पूरा सेट-अप एक ऐप के माध्यम से संचालित किया ताकि लोगों को अपनी राइड बुक करने में आसानी हो । कंपनी के शुरुआती दिनों में वे कई बार खुद ड्राइवर बनकर लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाते थे।

ओला कैसे बनी दुनिया की बेस्ट टैक्सी सर्विस कंपनी

भाविश ने कैब सर्विस और तकनीक का तालमेल इस तरह से बिठाया कि लोगों को अपनी राइड बुक करने में जरा भी परेशानी न हो । ओला राइड से जुड़ी सभी जानकारी और सुविधा ग्राहक को आसानी से प्राप्त हो जाती हो ।  धीरे-धीरे ओला का बिजनेस बढ़ता चला गया और नए टैक्सी वाले जुड़ते गए । आज Ola भारत में सबसे बड़े स्टार्टअप में से एक है। यह भारत में Uber का सबसे बड़ा प्रतियोगी भी है। 

ओला कैब्स ने अपनी शुरुआत स्थानीय टैक्सियों के साथ की जिन्हें एक संगठनित तरीके से जोड़ा गया था। जल्द ही इसकी जानकारी के साथ, ओला कैब्स ने अपनी सेवाओं को भारत के अन्य हिस्सों में भी बढ़ाया। ओला कैब्स ने समय के साथ साइकिल रिक्शा और मोटरसाइकिल को भी अपनी सेवाओं में शामिल किया। इसके अलावा, ओला ने अपनी सेवाओं को आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से लैस किया । यही खासियत ओला को दुनिया की बेहतरीन टैक्सी सर्विस बनाती है। 



ओला की सर्विस काफी मायनों में लोगों की सहूलियत पर खरी उतरती है । ओला को यात्रियों की संख्या के अनुसार सिंगल या शेयरिंग बेस पर बुक किया जा सकता है । इसका किराया शहर के अनुसार 10 से लेकर 17 रुपए प्रति किलोमीटर के दर से निर्धारित किया गया है । वर्तमान में ओला की सर्विस 100 से भी ज्यादा शहरों में उपलब्ध है । ओला का ऐप कैब बुकिंग के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला ऐप है।

क्या है Ola 

Ola एक ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग सर्विस ऐप है जिसकी मदद से कोई भी नागरिक अपने गंतव्य के लिए टैक्सी बुक कर सकता है, अपना किराया जान सकते हैं और GPS की मदद से इसे ट्रैक भी कर सकते हैं । भाविश को वर्ष 2018 में अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका टाईम मैगजीन द्वारा Most influential people of the year में शामिल किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें 'बेस्ट स्टार्ट-अप ऑफ द ईयर' और हिंदूस्तान टाइम्स द्वारा दिए जाने वाले 30 अंडर 30 खिताब से भी नवाजा जा चुका है।


 

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