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इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा: कैसे घर-घर पेन बेचने वाला लड़का बन गया इन्वर्टर मैन, पढ़िए रोचक किस्सा

 

इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा

लगन और इच्छा शक्ति इंसान के पास ऐसे दो औजार हैं जिनके बल पर वह दुनिया की किसी भी चीज को पा सकता है। पूरे दृढ़ इच्छा और लगन के साथ कोई भी काम किया जाए तो सफल होने से कोई नही रोक सकता। इसके अलावा धैर्य इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी टिके रहने का साहस देता है। परिस्थितियां चाहे जैसी हो लगातार आगे बढ़ता रहना चाहिए।

कुछ ऐसी ही कहानी है Su-Kam Inverter के जनक कुंवर सचदेवा की। जिन्होंने आर्थिक अभाव को कभी भी सफलता की राह में आड़े नही आने दिया। आज यह कंपनी दुनिया के करीब 70 से ज्यादा देशों में कारोबार कर रही है । कंपनी का टर्नओवर करीब 29 बिलियन डॉलर है। तो आप जान ही गए होगें की आज हम बात करने वाले हैं कुंवर सचदेवा की।

प्रारंभिक जीवन

कुंवर सचदेवा का जन्म 1962 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके तीन भाई हैं और पिता रेलवे में सेक्शन ऑफिसर थे। उस समय सेक्शन ऑफिसर कोई बड़ी पोस्ट नही हुआ करती थी। इस लिहाज से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। यही कारण था कि कुंवर सचदेवा जब पांचवी कक्षा में थे तब उनके पिता ने उन्हें प्राइवेट स्कूल से निकाल कर सरकारी स्कूल मे दाखिला करवा दिया।

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कहा जाता है कि कुंवर जब दसवीं में थे तब वह अपने भाईयों के साथ घर-घर जाकर पेन बेचा करते थे और पैसों से अपनी पढ़ाई का सामान खरीद लेते थे। उसके बाद उन्होंने यह काम छोड़ कर एक केबल टीवी वाले के पास नौकरी कर ली और घर-घर जाकर टीवी केबल लगाने लगे। साथ ही वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक में इंजिनयर की डिग्री हासिल करने में कामयाब रहे। 


 

Su-Kam की स्थापना

कुंवर सचदेवा ने कुछ समय बाद केवल टीवी का काम छोड़ दिया और वर्ष 1988 में नौकरी से इकट्ठा किए गए 10 हजार रुपए से एक खुद की दुकान खोली जिसका नाम रखा Su-Kam और फिर वह खुद केबल डिसट्रिब्यूट करने लगे।  उन दिनों इन्वर्टर बनाने वाली कंपनी देश क्या विदेशों में भी नही थी, यहीं से कुंवर सचदेवा के मन में विचार आया कि क्यों inverter बनाने काम शुरु किया जाए। बस वहीं से उनकी सफलता की शुरुआत हुई, उन्होंने कुछ अच्छे इंजीनियरों को अपने साथ जोड़ा और छोटे स्तर पर inverter बनाने का काम शुरु किया। 

inverter बनाने का काम करते समय कई लोगों ने उन्हें रोका भी कि आपको इस बिजनेस की कोई समझ नही है इसलिए इसमें सफल होने की गुंजाइश न के बराबर है। हांलाकि वह अपने जिद पर अड़े रहे और बहुत ही जल्दी वह अपने इंजीनियरों की मदद से काफी अच्छे इन्वर्टर मार्केट में लाने में कामयाब रहे। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उनके बनाए यह इन्वर्टर लोगों को काफी पसंद आए और उनका बिजनेस चल निकला। कुंवर सचदेवा जल्द ही पूरे भारत में अपना कारोबार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली।

Su-Kam Inverter की सफलता

आज भारत में ही नही बल्कि दुनिया के 70 देशों में कुंवर सचदेवा का कारोबार फैला हुआ है। सचदेवा प्लास्टिक बॉडी से इन्वर्टर का आविष्कार करने वाले विश्व के पहले व्यक्ति हैं । वह लीडिंग पॉवर सॉल्यूशन कंपनी Su-Kam सोलर इन्वर्टर के एम डी और संस्थापक हैं साथ ही वह एक महान खोजकर्ता, प्रेरणादायक वक्ता और मार्केटर भी हैं। आज Su-Kam भारत की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इंडस्ट्री है। सचदेवा की कंपनी की सफलता की कहानी 'मेक इन इंडिया' का प्रत्यक्ष उदाहरण है।


 

कुंवर सचदेवा की इच्छा है कि भारत में हर जगह ग्रीन एनर्जी का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए । बता दें कि यूनिक सोलर DC सिस्टम के निर्माण में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने बहुत छोटे हाउस रिमोट से लेकर बड़ी इंडस्ट्री के लिए भी सोलर उपकरणों की खोज की है। उनके इस योगदान की वजह से उन्हें The Solar man of India  के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

कुंवर सचदेवा की आसाधरण प्रतिभा और बिजनेस सोच को भारत सरकार ने भी सम्मानित किया है। उन्हें भारत शिरोमणि एवं youngest and Young के साल के 'सर्वश्रेष्ठ उद्योगपति अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। कुंवर सचदेवा की कहानी सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। उन्होंने अपने बिजनेस की सफलता की कहानी खुद लिखी। 

उनकी तरह अगर आप भी अपना स्टार्टअप शुरु करना चाहते हैं और कैरियर में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो उनसे सीख लेकर आप आगे बढ़ सकते हैं।


 

 

 

 

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