Skip to main content

कैसे नोटबंदी के दौर ने बदल दी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की किस्मत, पढ़िए उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से..

 


कहावत है कि कुछ कर गुजरने का जुनून इंसान को दुनिया से अलग पंक्ति में ला कर खड़ा कर देता है। विजय शेखर शर्मा भारत के उन चुनिंदा लोगों मे से हैं जिन्होंने दुनिया से अलग खड़े होकर बता दिया कि अगर इंसान के अंदर जज्बा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। आज हम बात करने वाले हैं पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के बारे  में जिन्होंने असफलताओं से लड़ कर कामयाबी के उस मुकाम पर पहुंचे जहां तक पहुंचना केवल सपने देखने जैसा होता है।

प्रारंभिक जीवन

पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके पिताजी एक स्कूल टीचर जबकि माता गृहिणी थीं।  विजय शेखर शर्मा की शुरुआती पढ़ाई अलीगढ़ के कस्बे हरदुआगंज के एक हिंदी मीडियम स्कूल में हुई। हिंदी मीडियम यहां इस लिए बता रहा हूं , क्योंकि हमारे देश में अधिकतर लोगों को यह भ्रम है कि इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य उज्जवल होता है।

इसके बाद विजय शेखर शर्मा ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए और दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर ऑफ इंजीनिंयरिंग की डिग्री इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्यूनिकेशन में हासिल की। यहां पढ़ाई के दौरान ही विजय शेखर शर्मा को हिंदी और इंग्लिश के बीच बड़े अंतर का ऐहसास हुआ। उन्हें अनुभव हुआ कि इंग्लिश एक भाषा ही नही बल्कि काबिलियत मापने का एक पैमाना भी है। हांलाकि स्वभाव से शर्मीले विजय शेखर शर्मा इंग्लिश को कभी भी सफलता के रास्ते में आड़े नही आने दिया।

पढ़ाई के दौरान ही कमाए 1 मिलियन डॉलर

कुछ अलग करने का जुनून विजय शेखर शर्मा में शुरु से ही था। इस जुनून को उन्होंने पहली बार वर्ष 1997 में हकीकत में बदला जब पढ़ाई के दौरान उन्होंने देखा कि कॉलेज के विद्यार्थियों को रिजल्ट देखने एवं फार्म भरने में काफी तकलीफ होती है और उन्हें घंटों लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने सोचा क्यों न एक वेबसाइट बनाई जाए जिससे विद्यार्थी खुद से यह फार्म आसानी से भर सकें।

यह भी पढ़ें- स्कूल से ड्रॉप आउट हुए गौतम अडानी कैसे बने दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स, जानिए उनके बेहतरीन किस्से

यहीं इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान उन्होंने एक वेबसाइट बनाई जिसका नाम indiasite.net था । यह वेबसाइट इतनी कामयाब हुई कि 2 साल  में ही उन्होंने इसे एक अमेरिकन कंपनी को 1 मिलियन डॉलर में बेच दिया। यहीं से विजय शेखर शर्मा के दिमाग में बिजनेस में हाथ आजमाने का खयाल आया।

मैगजीन से आया बिजनेस का आइडिया

विजय शेखर शर्मा जब दिल्ली मे रहते थे तब वह बाजारों से फॉर्च्यून और फोर्ब्स जैसी मैगजीन खरीद कर पढ़ा करते थे। किसी मैगजीन में उन्होंने एक बिजनेस मैन की सक्सेस स्टोरी पढ़ी। इस स्टोरी मे बताया गया था कि कैसे एक शख्स ने अपने गैराज से एक कंपनी की शुरुआत की और उसे कामयाब बनाया। इस कहानी ने विजय शेखर शर्मा को काफी प्रभावित किया और यहीं से उन्होंने ठान लिया कि वह बिजनेस में हाथ आजमाएंगे।

इसके बाद साल 2000 में उन्होंने one97 Communication ltd. की स्थापना की । इसमें क्रिकेट मैच का स्कोर, जोक्स, रिंगटोन और परीक्षा के रिजल्ट जैसी खबरें बताई जाती थी। यही One97 Communication पेटीएम की पैरेंट कंपनी है। 

 जब कंपनी की कामयाबी के लिए लोन लेना पड़ा

विजय शेखर शर्मा की सफलता जितनी आसान लग रही है उतनी थी नही । एक समय ऐसा भी आया जब आर्थिक तंगी की वजह से वह One 97 Communication को बंद करने वाले थे, लेकिन किसी के सुझाव से उन्होंने 8 लाख रुपए लोन लेकर कंपनी को आगे बढ़ाया। इसी बीच उनके एक बिजनेस मैन दोस्त का साथ मिला। उसने ऑफर दिया कि अगर विजय शेखर शर्मा उनकी कंपनी के घाटे को मुनाफे को में बदल दें तो वह One 97 Communication में पैसा लगाने को तैयार है । विजय शेखर शर्मा को तो केवल अवसर की तलाश थी उन्होंने कुछ महीनों के भीतर ही उस कंपनी को घाटे से मुनाफे में ला खड़ा किया। उनके दोस्त ने विजय शेखर शर्मा की कंपनी के इक्विटी शेयर खरीद लिए. इसके बाद विजय शेखर की कंपनी ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा।

 पेटीएम की शुरुआत कैसे हुई

One 97 Communication के बढ़ते कारोबार के बीच विजय शेखर शर्मा के दिमाग में एक खयाल आया कि स्मार्ट फोन बहुत ही तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं तो क्यों न कैशलेस ट्रॉंजेक्शन के लिए कोई ऐप बनाया जाए। उन्होंने यह आइडिया One97 Communication  के सामने रखा । क्योंकि यह मार्केट नया था और कंपनी पहले से ही अच्छा बिजनेस कर रही थी इसलिए कोई रिस्क लेने को तैयार नही हुआ। हांलाकि विजय शेखर शर्मा अपने फैसले पर अडिग रहने वाले थे उन्होंने अपनी पर्सनल इक्विटी का 1 % करीब 2 मिलियन डॉलर अपने आइडिया में इंन्वेस्ट करने के लिए रखा. इसके बाद पेटीएम की शुरुआत विजय शेखर शर्मा ने वर्ष 2010 में की।

 नोटबंदी और 100 मिलियन पेटीएम डाउनलोड

2016 मे भारत में नोटबंदी के दौर में पेटीएम का चलन तेजी से बढ़ा । 2017 में तो पेटीएम डाउनलोड करने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई। इस साल 100 मिलियन ऐप डाउनलोड हुए जो अपने आप में एक रिकार्ड है। इस समय पेटीएम के पास 150 मिलियन से भी ज्यादा डाउनलोड हैं।

पेटीएम की सेवाएं

प्रारंभिक दौर में कंपनी DTH recharge और prepaid mobile recharge के रुप में अपनी सेवाएं दे रही थी। इसके बाद पेटीएम ने अपनी सर्विस कई अन्य क्षेत्रों में शुरु की। वर्तमान में पेटीएम भारत के सभी राज्यों में प्रीपेड मोबाइल रिचार्ज, Data card रिचार्ज, पोस्टपेड मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट आदि की सेवाएं प्रदान कर रहा है। 

आज पेटीएम भारत का सबसे लोकप्रिय online payment site है। फोर्ब्स के अनुसार दिसंबर 2022 तक विजय शेखर शर्मी की कुल संपत्ति 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।



Comments

Popular posts from this blog

एक छोटे से कमरे से शुरु हुई वेबसाइट कैसे बन गई अरबों डॉलर की कंपनी, पढ़िए फ्लिपकार्ट के कामयाबी की कहानी ।

  फ्लिपकार्ट भारत की एक प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी है जिसपर हम ऑनलाइन कुछ भी खरीद सकते हैं वह भी घर बैठे ।  फ्लिपकार्ट आज के समय में देश की सबसे सफल कंपनियों में से एक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की शुरुआत एक कमरे के फ्लैट से हुई थी। जब कोई एक छोटे से कमरे से अपने बिजनेस की शुरुआत करता है तो वह शायद ही यह सोचता हो कि उसका बिजनेस इतने कम निवेश के बाद भी एक समय अरबों की कंपनी बन जाएगी। फ्लिपकार्ट का नाम भी कुछ उन्ही स्टार्टअप में से है जिनकी शुरुआत महज ही कुछ रुपयों से हुई थी लेकिन आज उस कंपनी का टर्नओवर अरबों में है।  तो आज हम Story behind the Success के माध्यम से आपको बताने जा रहें हैं कैसे सचिन और बिन्नी बसंल ने  फ्लिपकार्ट को नई बुलंदियों पर पहुंचाया। Flipkart के शुरुआत की कहानी Flipkart भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक है। Flipkart की शुरुआत 2007 में Sachin Bansal और Binny Bansal द्वारा बंगलोर में की गई थी। दोनों मित्र IIT दिल्ली के पूर्व छात्र थे और उन्हें इंजीनियरिंग में दिलचस्पी थी। Flipkart की शुरुआत एक ऑनलाइन पुस्तकालय के रूप में हुई थी...

इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा: कैसे घर-घर पेन बेचने वाला लड़का बन गया इन्वर्टर मैन, पढ़िए रोचक किस्सा

  इन्वर्टर मैन कुंवर सचदेवा लगन और इच्छा शक्ति इंसान के पास ऐसे दो औजार हैं जिनके बल पर वह दुनिया की किसी भी चीज को पा सकता है। पूरे दृढ़ इच्छा और लगन के साथ कोई भी काम किया जाए तो सफल होने से कोई नही रोक सकता। इसके अलावा धैर्य इंसान को विपरीत परिस्थितियों में भी टिके रहने का साहस देता है। परिस्थितियां चाहे जैसी हो लगातार आगे बढ़ता रहना चाहिए। कुछ ऐसी ही कहानी है Su-Kam Inverter के जनक कुंवर सचदेवा की। जिन्होंने आर्थिक अभाव को कभी भी सफलता की राह में आड़े नही आने दिया। आज यह कंपनी दुनिया के करीब 70 से ज्यादा देशों में कारोबार कर रही है । कंपनी का टर्नओवर करीब 29 बिलियन डॉलर है। तो आप जान ही गए होगें की आज हम बात करने वाले हैं कुंवर सचदेवा की। प्रारंभिक जीवन कुंवर सचदेवा का जन्म 1962 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके तीन भाई हैं और पिता रेलवे में सेक्शन ऑफिसर थे। उस समय सेक्शन ऑफिसर कोई बड़ी पोस्ट नही हुआ करती थी। इस लिहाज से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। यही कारण था कि कुंवर सचदेवा जब पांचवी कक्षा में थे तब उनके पिता ने उन्हें प्राइवेट स्कूल से निकाल कर सरकारी स्क...

जानिए कैसे दो दोस्तों ने एक छोटे से फूडलेट से Zomato को बना दिया फेमस फूड डिलीवरी ब्रांड ।

ऑनलाइन फूड आजकल फैशन बन चुका है हर कोई ऑनलाइन ऑर्डर कर शांति से घर बैठ कर खाना चाहता है क्योंकि इंसान होटल में जाकर इंतजार करने से अच्छा समझता है कि उसका खाना घर में मिल जाए। ऑनलाइन फूड डिलिवरी वेबसाइट जोमेटो इस समय हर किसी के जुबान पर है। क्या आप जानना चाहते हैं कि कैसे Zomato ने ऑनलाइन फूड डिलिवरी सिस्टम को इतना आसान बनाया जिससे कुछ ही मिनटों में लोग अपने घर में खाने की डिलिवरी रिसीव कर पाते हैं। जोमेटो कंपनी की शुरुआत कैसे हुई जोमेटो कंपनी की शुरुआत 2010 में की गई थी और इसे शुरु करने का श्रेय दीपेंदर गोयल को जाता है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमेटो आज 24 देशों के 10 हजार शहरों में लोगों को खाना डिलिवर कर रही है। यह दुनिया के सबसे बड़ी फूड डिलिवरी कंपनियों में से एक है। दीपेंदर पंजाब के एक मध्यमवर्गीय परिवार से तालुक रखते हैं उनका मन पढ़ाई में नही लगता था यही वजह थी की वह कक्षा 6वीं और 11वीं में फेल हो गए थे। हालांकि उन्हें ऐहसास हुआ की पढ़ाई से ही कुछ बना जा सकता है। इसीलिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और IIT में सलेक्ट हो गए । IIT से 2006 में पासआउट होने के बाद दीपेंदर ब्रेन ए...