Skip to main content

पुराने फर्नीचर और सेकेंड हैंड कंप्यूटर से शुरू हुआ सफर: संजीव बिकचंदानी की प्रेरक कहानी

 


 अगर सपनों को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी और मेहनत से प्रयास किया जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है। आज हम बात करने जा रहे हैं नौकरी डॉट कॉम और जीवनसाथी डॉट कॉम जैसी वेबसाइट के संस्थापक संजीव बिकचंदानी (Sanjeev Bikhchandani) की जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है। कभी एक सामान्य नौकरी करने वाले संजीव के मन में कुछ बड़ा करने की इच्छा लगातार उन्हें प्रेरित कर रही थी। इसी दृढ़ इरादे के साथ उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और कारोबार की शुरुआत की। हालांकि, शुरुआत आसान नहीं थी। क्योंकि इस दौरान उन्हें अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से कई बार आलोचना झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने कभी इन बातों को अपने उद्देश्य पर हावी नहीं होने दिया। उनकी पत्नी सुरभि ने हर कदम पर उनका साथ दिया। अपनी मेहनत और परिवार के सहयोग से उन्होंने कुछ ही वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी।

यह भी पढ़ें-  जब उसी कॉलेज में व्याख्यान देने पहुंचे गौतम अडानी जहां नही मिला था एडमिशन-पढ़िए सफलता की रोचक कहानी

संजीव बिकचंदानी जिन्होंने कभी अपनी पत्नी से उधार लेकर बिजनेस शुरू किया आज करोड़ों रुपये की कंपनी का मालिक है। वह इन्फो एज इंडिया लिमिटेड (Info Edge India Ltd) के संस्थापक हैं। यह कंपनी नौकरी डॉट कॉम (naukri.com) और जीवनसाथी डॉट कॉम (jeevansathi.com) जैसी लोकप्रिय वेबसाइट्स को संचालित करती है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरक सफलता की कहानी।

आईआईएम अहमदाबाद से पूरी की पढ़ाई

संजीव बिकचंदानी ने आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) से अपनी शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1989 में अपनी पहली नौकरी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के साथ शुरू की। हालांकि, नौकरी के सिर्फ एक साल बाद ही उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया। उनकी इस सफलता में उनकी पत्नी सुरभि का अहम योगदान रहा। सुरभि एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करती थीं और संजीव के नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने घर की पूरी जिम्मेदारी संभाली। यही सहयोग और मेहनत आज संजीव को इस ऊंचाई पर ले आया है। दोनों शादी से पहले आईआईएम अहमदाबाद में सहपाठी थे।


 

1990 में रखी इन्फो एज की नींव

साल 1990 में संजीव बिकचंदानी ने इन्फो एज की शुरुआत की। उन्होंने अपने पिता के गैरेज में सेकेंड हैंड कंप्यूटर और घर के पुराने फर्नीचर के सहारे इन्फो एज (इंडिया) की नींव रखी। शुरुआत में उनके बिजनेस को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प के चलते धीरे-धीरे सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ। १९९७ में उनके बिजनेस को एक बड़ा मोड़ मिला, जब उन्होंने जॉब पोर्टल Naukri.com लॉन्च किया। इस पोर्टल को बड़ी सफलता मिली और यह देशभर में लोकप्रिय हो गया। इसके बाद संजीव ने Jeevansathi.com, 99acres.com, और Shiksha.com जैसे अन्य प्रमुख वेब पोर्टल्स की भी शुरुआत की, जो आज अपनी-अपनी श्रेणियों में अग्रणी हैं।

आज संजीव बिकचंदानी देश के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 19,000 करोड़ रुपये है। वहीं, उनकी कंपनी इन्फो एज इंडिया का बाजार मूल्यांकन (मार्केट कैप) 57,500 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

Comments

Popular posts from this blog

वीबा फूड्स ने कैसे FMCG मार्केट में क्रांति स्थापित किया..पढ़िए सफलता की अनोखी कहानी

   विराज बहल देश के जाने-माने उद्यमी हैं, जो शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में नए जज के रूप में शामिल हुए हैं। जजों के पैनल में अमन गुप्ता, अनुपम मित्तल, नमिता थापर, विनीता सिंह और पीयूष बंसल भी शामिल हैं। विराज की कहानी एक साधारण शुरुआत से लेकर एक बड़े फूड बिजनेस तक पहुंचने की है। उन्हें भारत के एफएमसीजी सेक्टर, विशेष रूप से सॉस बनाने वाली कंपनी वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक के रूप में जाना जाता है। 2013 में स्थापित वीबा फूड्स आज भारतीय फूड इंडस्ट्री का एक प्रमुख ब्रांड बन चुका है और इसने उद्योग को एक नई दिशा दी है। हालांकि, विराज का सफर कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें शुरुआती असफलताएं और आर्थिक कठिनाइयां शामिल थीं। लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया। आइए, विराज बहल की प्रेरणादायक सफलता की कहानी को और गहराई से समझते हैं। घर बेचकर नए बिजनेस के लिए जुटाए पैसे विराज का फूड बिजनेस से जुड़ाव बचपन से ही था। वह अक्सर अपने पिता की फैक्ट्री जाया करते थे, जहां उन्होंने फूड ...

ठेले लगाने वाली महिला ने कैसे खड़ा कर दिया करोड़ों का रेस्‍तरां बिजनेस..Sandheepha Restaurant की प्रेरक यात्रा

    अगर हौसला और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो कोई भी मुश्किलें रुकावट नहीं बन सकतीं। इसका बेहतरीन उदाहरण हैं चेन्‍नई की पैट्रिसिया नारायण। जब जिंदगी ने उन्‍हें कड़े इम्तिहान दिए, तो उन्‍होंने उन्‍हें पार कर अव्‍वल स्‍थान पर पहुँचने का करिश्‍मा किया। दो बच्‍चों की जिम्‍मेदारी उठाने के लिए उन्‍होंने महज 50 पैसे में चाय बेचना शुरू किया, और आज उनकी रोज की कमाई 2 लाख रुपये से अधिक है। अब वे चेन्‍नई में एक सफल बिजनेसवुमेन के रूप में जानी जाती हैं और करोड़ों का कारोबार संभालती हैं। पैट्रिसिया ने अपने जीवन में हर प्रकार के संघर्ष का सामना किया, लेकिन कभी भी हार नहीं मानी। परिवार की परेशानियों और समाज के तानों से उबरते हुए, उन्‍होंने अपनी मंजिल को पाया। जो पैट्रिसिया कभी 50 पैसे में चाय बेचा करती थीं, आज वही रोजाना 2 लाख रुपये कमाती हैं। जो पैट्रिसिया कभी रिक्‍शे से सफर करती थीं, उनके पास आज कई लग्जरी कारों का काफिला है। यह सबकुछ उन्‍होंने अपनी मेहनत और संकल्‍प से अकेले ही हासिल किया है। शुरुआत का जीवन पैट्रिसिया का जन्म तमिलनाडु के नागरकोल में एक पारंपरिक क्रिश्चियन परिवार में हुआ। 1...

150 रुपए की नौकरी से करोड़ों की संपत्ति तक..पढ़िए गरीब से अमीर बनने की प्रेरक घटना

  कहा जाता है कि यदि किसी चीज़ को करने की ठान ली जाए, तो पूरी कायनात भी उसे साकार करने में लग जाती है। साथ ही, अगर कोशिश सच्चाई से की जाए, तो एक दिन व्यक्ति जरूर सफल होता है। क्या आपने कभी सोचा था कि एक व्यक्ति जिसका घर केवल ₹50 से चलता हो, वह कभी करोड़ों का मालिक बन सकता है? शायद नहीं। किसी गरीब की हालत और परेशानियों को देखकर कोई यह नहीं सोच सकता कि वह एक बड़ी कंपनी स्थापित कर सकता है। लेकिन यह सच है। तो आज हम आपको थायरोकेयर टेक्नोलॉजी लिमिटेड के संस्थापक, चेयरमैन और MD ए वेलुमणि की सफलता की कहानी बताएंगे। वह न तो कोई कार रखते हैं और न ही किसी बड़े बंगले में रहते हैं, न ही उन्हें बड़ी गाड़ियों का शौक है और न ही किसी को कुछ दिखाने की कोई चाहत है।   शुरुआती जीवन वेलुमणि का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुआ था। उनका परिवार बेहद गरीब था, और बहुत छोटी उम्र में उनके पिता उन्हें अकेला छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे। इसके बाद उनकी मां पर घर चलाने का भार आ गया। वेलुमणि तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। हालांकि गरीबी को बहुत करीब से देखने के बावजूद, उनकी मां ने उन्हें पढ़ाई से कभ...