पढ़िए सुभाष चंद्रा की प्रेरक कहानी कैसे उन्होंने भारत के पहले निजी टेलीविजन चैनल की स्थापना कर भारतीय मनोरंजन जगत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया
सुभाष चंद्रा, जिन्हें अक्सर भारत का मीडिया मुगल कहा जाता है, वह देश के पहले सैटेलाइट हिंदी चैनल ज़ी टीवी के संस्थापक हैं, आज हम बात करने जा रहे हैं प्रसिद्ध उद्यमी सुभाष चंद्रा के बारे में जिन्होंने बार-बार अपने व्यवसायिक कौशल साबित किए और इसे सफलता की राह पर अग्रसर किया।
सुभाष चंद्रा को अपने दादा जगन्नाथ गोयनका का मार्गदर्शन और संरक्षण मिला, जिन्होंने न केवल उन्हें बिजनेस की गहरी समझ दी, बल्कि सुभाष चंद्रा पर एक अमिट छाप भी छोड़ी।
उस समय, जगन्नाथ गोयनका एक निश्चित कमीशन पर अनाज खरीदने और बेचने का का करते थे साथ ही साहूकारी भी करते थे। सुभाष रोज़ाना स्कूल से लौटकर अपने दादा के पास बैठते और सैकड़ों लोगों या ग्राहकों को पत्र लिखने में उनकी मदद करते।
अपने दादा से सुभाष ने जीवन के तीन सबसे महत्वपूर्ण सबक सीखे: "डरें नहीं, अपनी प्रतिबद्धता से कभी पीछे न हटें, और सत्य के मार्ग से विचलित न हों।" इसके अलावा, उन्होंने सुभाष को यह भी सिखाया कि लोगों का विश्लेषण कैसे करें, उन्हें बारीकी से कैसे देखें और उनके व्यवहार से उनके उद्देश्यों या इरादों को कैसे समझें।
सुभाष चंद्रा अक्सर अपने दादा के साथ गाँव के बाज़ार जाते थे और लोगों या उनके बारे में जानकारी और गपशप इकट्ठा करते थे। इससे उन्हें ज़मीनी स्तर पर लगातार नजर रखने और सूक्ष्म विश्लेषण करने की क्षमता मिली।
ज़ी नेटवर्क, देश का प्रमुख न्यूज और एंटरटेनमैंट चैनल है और आज 167 से अधिक देशों में 50 करोड़ से अधिक दर्शकों तक पहुँच चुका है। सुभाष चंद्रा के दो बेटे हैं- अमित गोयनका और पुनीत गोयनका, वह पारिवारिक व्यवसाय की बागडोर संभालते हैं।
सुभाष चंद्रा का प्रारंभिक जीवन
सुभाष चंद्रा का जन्म 30 नवम्बर, 1950 को हरियाणा के हिसार जिले के अदामपुर शहर में एक बरनवाल बनिया परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम सुभाष चंद्रा गोयल है। सुभाष चंद्रा ने 1992 में जी टीवी की स्थापना की, जो भारत का पहला केबल टीवी चैनल था। आज यह चैनल सोनी और स्टार-प्लस जैसे बड़े नेटवर्क के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें एम्मी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी आत्मकथा का विमोचन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जनवरी 2016 को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किया।
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बिजनेस आइडिया
सुभाष चंद्रा ने कम उम्र में ही अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और परिवार के बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू किया।
सिर्फ 17 साल की उम्र में वे हिसार छोड़कर दिल्ली आए, जहाँ उन्होंने चावल के निर्यात (Rice Export) का व्यवसाय शुरू किया।
उनका यह कदम उस समय बहुत साहसी माना गया क्योंकि भारत में उस दौर में विदेशी व्यापार करना आसान नहीं था। धीरे-धीरे उन्होंने चावल निर्यात में सफलता हासिल की और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाई।
1970 के दशक में सुभाष चंद्रा ने एस्सेल पैकेजिंग लिमिटेड (Essel Packaging Limited) की स्थापना की, जिसने आगे चलकर एस्सेल ग्रुप की नींव रखी। यह कंपनी टूथपेस्ट, क्रीम और कॉस्मेटिक उत्पादों के लिए ट्यूब पैकेजिंग तैयार करती थी और जल्द ही वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना ली।
साल 1992 सुभाष चंद्रा के कैरियर में मील का पत्थर साबित हुआ । जब उन्होंने ज़ी टीवी (zee tv) की स्थापना की- यह भारत का पहला निजी सैटेलाइट हिंदी चैनल था। उस समय इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत विदेशी सैटेलाइट से देश में प्रसारण पर रोक थी। लेकिन सुभाष चंद्रा ने इस चुनौती को अवसर में बदला।
उन्होंने हांगकांग की स्टार टीवी से सैटेलाइट स्पेस किराए पर लिया और वहीं से भारत में प्रसारण शुरू किया। यह कदम उस समय क्रांतिकारी और जोखिमभरा माना गया, क्योंकि न तो सरकार ने इस तरह की पहल का समर्थन किया था, और न ही लोगों को भरोसा था कि निजी चैनल चल पाएगा।
उस समय भारत में केवल दूरदर्शन ही एकमात्र टीवी चैनल था, लेकिन सुभाष चंद्रा ने यह समझते हुए जोखिम उठाया कि भारतीय दर्शक अब नए और विविध विकल्पों की तलाश में हैं।
उन्होंने विदेशी सैटेलाइट (STAR TV) के माध्यम से प्रसारण शुरू किया, जो भारतीय टेलीविज़न इतिहास का एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम साबित हुआ।
ज़ी टीवी पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम -हम पांच, अंताक्षरी और तारा - ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। कुछ ही वर्षों में, ज़ी नेटवर्क ने अपनी पहचान विश्व स्तर पर बना ली और आज यह 167 देशों में 50 करोड़ से अधिक दर्शकों तक पहुँच चुका है।
सुभाष चंद्रा ने अपने करियर को केवल मीडिया तक सीमित नहीं रखा।
उन्होंने अपने एस्सेल ग्रुप (Essel Group) के माध्यम से कई अलग-अलग क्षेत्रों में कदम बढ़ाए और अपने व्यवसायिक साम्राज्य का विस्तार किया।
उनका समूह आज इन्फ्रास्ट्रक्चर, मनोरंजन, शिक्षा, पैकेजिंग, वित्तीय सेवाएं, तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अनेक क्षेत्रों में सक्रिय है। उनकी दूरदृष्टि और नवाचार की सोच ने एस्सेल ग्रुप को एक बहुआयामी और वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त समूह बना दिया।
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