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रिटेल किंग किशोर बियानी: कैसे उन्होंने Big Bazaar को आम आदमी का स्टोर बनाया

किशोर बियानी की सफलता की कहानी भारत में आधुनिक रिटेल क्रांति की नींव रखने की दास्तान है। उन्होंने बिग बाज़ार (Big Bazaar) जैसे डिस्काउंट हाइपरमार्केट और पैंटालून्स जैसे लोकप्रिय ब्रांड शुरू करके देश में खरीदारी के तौर-तरीके बदल दिए। 1987 में पैंटालून्स से शुरुआत कर उन्होंने फ्यूचर ग्रुप का विस्तार किया, जिसने भारतीय मध्यम वर्ग को एक ही जगह पर विविध उत्पादों की सुविधा दी। बिग बाजार एक ऐसा रिटेल मार्केट हैं जहां एक ही छत के नीचे व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की जरुरती चीजोंं को खरीद सकता है । यह खासकर मध्यमवर्गीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है ।  किशोर बियानी की जीवनी किशोर बियानी का जन्म 9 अगस्त 1961 को मुंबई में एक कपड़ा व्यवसायी परिवार में हुआ। शुरू से ही उन्हें अपने पारिवारिक बिजनेस में गहरी दिलचस्पी थी। 1987 में उन्होंने पारंपरिक कपड़ा व्यवसाय को नया रूप देते हुए इसे रेडीमेड परिधान उद्योग की ओर मोड़ दिया। किशोर बियानी वह नाम हैं जिन्हें भारत में आधुनिक रिटेल का अग्रदूत माना जाता है। ‘रिटेल किंग’ के नाम से प्रसिद्ध बियानी ने खरीदारी को सरल और सुलभ बनाकर आम लोगों तक पहुंचाया। फ्यूचर ग्रुप ...
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पढ़िए सुभाष चंद्रा की प्रेरक कहानी कैसे उन्होंने भारत के पहले निजी टेलीविजन चैनल की स्थापना कर भारतीय मनोरंजन जगत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया

सुभाष चंद्रा , जिन्हें अक्सर भारत का मीडिया मुगल कहा जाता है, वह देश के पहले सैटेलाइट हिंदी चैनल ज़ी टीवी के संस्थापक हैं, आज हम बात करने जा रहे हैं  प्रसिद्ध  उद्यमी सुभाष चंद्रा के बारे में जिन्होंने बार-बार अपने व्यवसायिक कौशल साबित किए और इसे सफलता की राह पर अग्रसर किया। सुभाष चंद्रा को अपने दादा जगन्नाथ गोयनका का मार्गदर्शन और संरक्षण मिला, जिन्होंने न केवल उन्हें बिजनेस की गहरी समझ दी, बल्कि सुभाष चंद्रा पर एक अमिट छाप भी छोड़ी। उस समय, जगन्नाथ गोयनका एक निश्चित कमीशन पर अनाज खरीदने और बेचने का का करते थे साथ ही साहूकारी भी करते थे। सुभाष रोज़ाना स्कूल से लौटकर अपने दादा के पास बैठते और सैकड़ों लोगों या ग्राहकों को पत्र लिखने में उनकी मदद करते। अपने दादा से सुभाष ने जीवन के तीन सबसे महत्वपूर्ण सबक सीखे: "डरें नहीं, अपनी प्रतिबद्धता से कभी पीछे न हटें, और सत्य के मार्ग से विचलित न हों।" इसके अलावा, उन्होंने सुभाष को यह भी सिखाया कि लोगों का विश्लेषण कैसे करें, उन्हें बारीकी से कैसे देखें और उनके व्यवहार से उनके उद्देश्यों या इरादों को कैसे समझें। सुभाष चंद्रा अक्स...

पढ़िए रोचक कहानी कैसे एक स्वतंत्रता सेनानी और गांधी जी का करीबी बन गया दिग्गज कारोबारी

आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी की जिसने सामााजिक मूल्योंं से प्रेरित गांधीवादी सिद्धांतों  पर आधारित एक ऐसा व्यावसायिक साम्राज्य स्थापित किया जो आज भी हर भारतीय जनमानस के बीच मौजूद है । जमनालाल बजाज ने  ब्रिटिश शासन के दौर में कई भारतीय स्वामित्व वाले उद्योगों की स्थापना की जिनमें चीनी, सीमेंट और कपास उद्योग प्रमुख थे। साथ ही उन्होंने खादी और स्वदेशी आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया, जिससे उनके उद्यमों को न केवल व्यावसायिक सफलता मिली बल्कि एक राष्ट्रीय पहचान भी स्थापित हुई। प्रारंभिक जीवन जमनालाल बजाज का जन्म साल 1889 में राजस्थान के सीकर जिले के पास स्थित छोटे से गाँव काशी का बास में कनीराम और बिरदीबाई के घर एक गरीब किसान परिवार में हुआ। साल 1894 में वर्धा के प्रतिष्ठित व्यापारी सेठ बच्छराज बजाज अपने परिवार के साथ काशी का बास के एक मंदिर में दर्शन के लिए आए। वहाँ उन्होंने घर के बाहर खेलते हुए नन्हे जमनालाल को देखा और उनकी सादगी एवं तेजस्विता से प्रभावित हुए।  विचार-विमर्श और समझाइश के बाद, सेठ बच्छराज बजाज ने उन्हें अपने पोते के रूप में गोद ले लिया। ...

बुर्ज खलीफा में फ्लैट और लग्जरी कारों का काफिला, कैसे छोटे शहर का लड़का बना 8,000 करोड़ का मालिक, पढ़िए प्रेरक कहानी

कड़ी मेहनत और समझदारी भरी सोच व्यक्ति को सफलता की नई ऊँचाइयों तक पहंचा सकती है । हालांकि .यह सफलता हासिल करने के लिए मेहनत और बुद्धिमता दोनों का मेल ज़रूरी है । इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे हैं मध्य प्रदेश के छोटे शहर जबलपुर से आने वाले सतीश सनपाल की जो दुबई की सबसे ऊंची इमारत, बुर्ज खलीफा, में रहते हैं। उनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। छोटी उम्र में पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी दुकान खोली और कुछ ही सालों में दुबई के प्रमुख बिजनेसमैनों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया। सतीश सनपाल आज दुबई में एनाक्स होल्डिंग जैसी बड़ी कंपनी का नेतृत्व करते हैं। उनका यह सफर यह बताने के लिए काफी है कि कड़ी मेहनत, समझदारी और दृढ़ संकल्प सफलता की कुंजी हैं। जीवन की शुरुआत सतीश का जन्म जबलपुर में हुआ और उनका परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था। लेकिन उनके पास बड़े सपने और आगे बढ़ने की मजबूत इच्छा थी। उन्होंने अपनी युवावस्था में छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू किए। कुछ असफल रहे, लेकिन हर अनुभव ने उन्हें महत्वपूर्ण सीख दी और उनके भविष्य की दिशा तय की। दुबई का सफर बेहतर अवसर की तलाश में सती...

हेल्थकार्ट के संस्थापक समीर माहेश्वरी की कहानी: मेहनत, लगन और उद्यमिता की मिसाल

अक्सर लोग मानते हैं कि बड़ी सफलता उन्हीं को मिलती है जिनके पास बड़ा नाम, या  बैंक बैलेंस होता है। लेकिन हेल्थकार्ट (HealthKart) के संस्थापक और सीईओ समीर माहेश्वरी की कहानी इस सोच को पूरी तरह गलत साबित करती है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल जैसे नामी संस्थानों से पढ़ाई की है। आइए, जानते हैं  समीर माहेश्वरी  की इस प्रेरणादायक सफल यात्रा के बारे में। हेल्थ कार्ट की नींव 1997 में आईआईटी से स्नातक करने के बाद, समीर माहेश्वरी अमेरिका चले गए और वहां के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की और कुछ  वर्षों  तक  इन्वेस्टमेंट बैंकिंग सेक्टर में काम  किया। इसके बाद उन्होंने उद्यमिता (Entrepreneurship) में कदम रखने के उद्देश्य से भारत लौटने का निर्णय लिया। यह भी पढें-   वीबा फूड्स ने कैसे FMCG मार्केट में क्रांति स्थापित किया..पढ़िए सफलता की अनोखी कहानी सैन फ्रांसिस्को में रहने के दौरान उनकी मुलाकात प्रशांत टंडन से हुई। वहीं दोनों ने मिलकर भारत लौटकर उद्यमिता में हाथ आजमाने का फैसला किया। उस समय भारत में स्मार्टफोन का प्रसार तेजी स...

वीबा फूड्स ने कैसे FMCG मार्केट में क्रांति स्थापित किया..पढ़िए सफलता की अनोखी कहानी

   विराज बहल देश के जाने-माने उद्यमी हैं, जो शार्क टैंक इंडिया के चौथे सीजन में नए जज के रूप में शामिल हुए हैं। जजों के पैनल में अमन गुप्ता, अनुपम मित्तल, नमिता थापर, विनीता सिंह और पीयूष बंसल भी शामिल हैं। विराज की कहानी एक साधारण शुरुआत से लेकर एक बड़े फूड बिजनेस तक पहुंचने की है। उन्हें भारत के एफएमसीजी सेक्टर, विशेष रूप से सॉस बनाने वाली कंपनी वीबा फूड्स (Veeba Foods) के संस्थापक और प्रबंध निदेशक के रूप में जाना जाता है। 2013 में स्थापित वीबा फूड्स आज भारतीय फूड इंडस्ट्री का एक प्रमुख ब्रांड बन चुका है और इसने उद्योग को एक नई दिशा दी है। हालांकि, विराज का सफर कभी आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया, जिनमें शुरुआती असफलताएं और आर्थिक कठिनाइयां शामिल थीं। लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्षशीलता ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया। आइए, विराज बहल की प्रेरणादायक सफलता की कहानी को और गहराई से समझते हैं। घर बेचकर नए बिजनेस के लिए जुटाए पैसे विराज का फूड बिजनेस से जुड़ाव बचपन से ही था। वह अक्सर अपने पिता की फैक्ट्री जाया करते थे, जहां उन्होंने फूड ...

भाविश अग्रवाल ने कैसे OLA को बना दिया इंडिया का ब्रांड..पढ़िए रोचक यात्रा

  भारत ने हाल ही में एक बहुत बड़ा बदलाव देखा है, जो बेहद कम समय में हुआ। अब आप इंटरनेट के जरिए किराने का सामान मंगवा सकते हैं, खाना सीधे आपके दरवाजे तक पहुंच सकता है, और बिना गैस पेडल दबाए अपने शहर के सबसे दूरस्थ कोने तक पहुंच सकते हैं। ओला कैब्स, जिसे भाविश अग्रवाल ने सह-स्थापित किया था, अब ओला कंज्यूमर बन चुकी है। इसने भारत में ग्राहकों को लंबी कतारों में खड़े होने, घंटों तक इंतजार करने, या ऑटोवाले द्वारा अनदेखा किए जाने जैसी समस्याओं को हल किया है। इसके अलावा, इसने महिलाओं के लिए दिन के किसी भी समय यात्रा को सुरक्षित बना दिया है। फोटोग्राफी के शौकीन अग्रवाल का सपना भारतीयों को सुरक्षित और भरोसेमंद कैब सेवा प्रदान करना था, और उन्होंने यह सब कम उम्र में ही हासिल किया। अग्रवाल ओला के सह-संस्थापक और सीईओ हैं, और ओला इलेक्ट्रिक के एकमात्र संस्थापक भी हैं। इस सफल कैब सेवा का पहला प्रयोग दिल्ली की सड़कों पर किया गया। भाविश अग्रवाल ने अंकित भाटी के साथ मिलकर ओला की स्थापना की, और इसके बाद जो कुछ भी हुआ, वह इतिहास बन गया। प्रारंभिक जीवन भाविश अग्रवाल, जिन्हें अक्सर मारवाड़ी समझा जाता है,...